
Psychology of Condemnation
Failed to add items
Add to basket failed.
Add to wishlist failed.
Remove from wishlist failed.
Adding to library failed
Follow podcast failed
Unfollow podcast failed
-
Narrated by:
-
By:
About this listen
हम अखबार पढ़ते हैं ताकि कोई निंदा रस मिल जाए जरा किसी की निंदा हो रही हो तो हम चौकन्ने होकर सुनने लगते हैं कैसे ध्यान मग्न हो जाते हैं अगर कोई आकर बताएं कि पड़ोसी की स्त्री किसी के साथ भाग गई है बस दुनियादारी भूल जाते हैं उस बात पर इतना ध्यान लगाते हैं कि उससे और पूछते हैं खुद खुद के पूछने लगते हैं कि कुछ और तो कहो कुछ आगे तो बताओ विस्तार से बताओ जरा ऐसे संक्षिप्त न बताओ कहां भागे जा रहे हो पूरी बात बता कर जाओ बैठो चाय पी लो हम उसके लिए पलक पावडे बिछा देते हैं अपने बच्चों को कहते हैं कुर्सी लाना जहां भी हमें लगता है कि निंदा हो रही है वहां पर हमें रस आता है हमें रस इसलिए आता है क्योंकि दूसरा आदमी छोटा किया जा रहा है और उसके छोटे होने में हमें भीतरी संतुष्टि मिलती है कि मैं बड़ा हो रहा हूं इसलिए अगर कोई भिखारी रास्ते पर केले के छिलके पर पैर फिसल कर गिर जाए तो हमें इतना रस नहीं आता जितना रस कोई संभ्रांत व्यक्ति केले के छिलके पर फिसल कर गिर पड़े तो आये। दिल खुश हो जाता है
Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.