Atharvashirsha Meaning Hindi (भाग 3) cover art

Atharvashirsha Meaning Hindi (भाग 3)

Atharvashirsha Meaning Hindi (भाग 3)

Listen for free

View show details

About this listen

श्लोक 5 सर्वञ् जगदिदन् त्वत्तो जायते ।सर्वञ् जगदिदन् त्वत्तस्तिष्ठति ।सर्वञ् जगदिदन् त्वयि लयमेष्यति ।सर्वञ् जगदिदन् त्वयि प्रत्येति ।त्वम् भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभः ।त्वञ् चत्वारि वाव्पदानि || अर्थात :- इस जगत के जन्म दाता तुम ही हो,तुमने ही सम्पूर्ण विश्व को सुरक्षा प्रदान की हैं सम्पूर्ण संसार तुम में ही निहित हैं पूरा विश्व तुम में ही दिखाई देता हैं तुम ही जल, भूमि, आकाश और वायु हो |तुम चारों दिशा में व्याप्त हो | श्लोक 6 त्वङ् गुणत्रयातीतः ।(त्वम् अवस्थात्रयातीतः ।)त्वन् देहत्रयातीतः । त्वङ् कालत्रयातीतः ।त्वम् मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम् ।त्वं शक्तित्रयात्मकः ।त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम् ।त्वम् ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वम् रुद्रस्त्वम्इन्द्रस्त्वम् अग्निस्त्वं वायुस्त्वं सूर्यस्त्वञ चन्द्रमास्त्वम्ब्रह्मभूर्भुवः स्वरोम् अर्थात :- तुम सत्व,रज,तम तीनो गुणों से भिन्न हो | तुम तीनो कालो भूत, भविष्य और वर्तमान से भिन्न हो | तुम तीनो देहो से भिन्न हो |तुम जीवन के मूल आधार में विराजमान हो | तुम में ही तीनो शक्तियां धर्म, उत्साह, मानसिक व्याप्त हैं |योगि एवम महा गुरु तुम्हारा ही ध्यान करते हैं | तुम ही ब्रह्म,विष्णु,रूद्र,इंद्र,अग्नि,वायु,सूर्य,चन्द्र हो | तुम मे ही गुणों सगुण, निर्गुण का समावेश हैं | Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
No reviews yet